प्रत्याशा



कभी सोचता हूँ कि शायद ऐसा नहीं होता है क्या? क्या मैं भी तुम्हारे सपनों में आता हूँ? जैसे मैं तुम्हें देखता हूँ वैसे तुम भी मुझे देखती हो?

तुम तो यूँ ही आ जाती हो मेरे ख्वाबों में, मुझ से मिलने | क्या मैं भी आता हूँ? तुम्हारे गालों को सहलाता हूँ? तुम्हें देखता ही रह जाता हूँ? तुम्हारी आँखों में खुद को पा जाता हूँ? क्या मैं भी तुम्हारे ख्वाबों में आता हूँ?

कभी तुम मुझसे इतनी दूर होती हो, कभी इतने पास | अपनी सांसों में तुम्हारी सांसों का एहसास पाता हूँ, क्या मैं भी तुम्हारे सपनों में आता हूँ?

दिल से लगा कर तुम्हें प्यार जताता हूँ, तुम्हारे पास आने से थोड़ा डर जाता हूँ। क्या तुम भी मुझे ख्वाबों में बुलाती हो?

चलो, हकीकत में न सही, मुलाकात तो होती है, तुम्हारी हंसी मेरे सामने होती है। ख्वाबों में ही सही मुलाकात तो होती है |

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